Tuesday, March 3, 2020

दिल्ली हिंसा में फंसी मुसलमान महिलाओं ने जो देखा, भुगता

भारत की राजधानी दिल्ली में हुए सांप्रदायिक हिंसा ने एक बार फिर ज़ाहिर किया है कि किसी भी हिंसा में सबसे ज़्यादा प्रभावित महिलाएं और बच्चे होते हैं. बीबीसी संवाददाता गीता पांडे की रिपोर्ट.

उत्तरी पूर्वी दिल्ली में भड़की हिंसा में कम से कम 40 लोगों की मौत हुई है, इनमें हिंदू और मुसलमान दोनों शामिल हैं. हिंसा के बाद हज़ारों मुस्लिम महिलाएं और बच्चे बेघर हो चुके हैं, उनके सामने भविष्य की अनिश्चितताएं हैं.

इंदिरा विहार के एक बड़े भीड़ वाले हॉल में, दंगों से बेघर हुई महिलाएं और बच्चे दरी और मैट पर बैठ हुए हैं. इनमें कई युवा महिलाएं हैं जिनके गोद में रोते हुए बच्चे हैं. कुछ छोटे बच्चे भी हैं जिन्होंने अभी चलना सीखा ही है और कुछ थोड़े बड़े बच्चे भी, जो समूह में खेल रहे हैं.

यह हॉल एक मुस्लिम कारोबारी का है, जो अब एक तरह से विस्थापित लोगों की शरणस्थली बन चुका है.

यहां पहुंची महिलाएं एवं बच्चे दंगा करने पर उतारू हिंदू भीड़ के हमले के बाद शिव विहार के अपने अपने घरों से जान बचाकर भागे हुए हैं. शिव विहार दिल्ली में हुए दंगा में सबसे प्रभावित इलाकों में एक है.

शिव विहार मुख्य रूप से कामकाजी हिंदुओं की बहुलता वाला इलाका है लेकिन यहां मुस्लिमों की आबादी भी ठीकठाक है. यह एक गंदे नाले से सटी हुई संकीर्ण गलियों वाली बस्ती है. इस नाले के साथ कुछ सौ मीटर आगे की दूरी पर मुस्लिम बहुल आबादी वाले चमन पार्क और इंदिरा विहार का इलाका है.

हिंदू और मुस्लिम बहुलता वाले इलाके को केवल एक सड़क अलग करती है. ये लोग यहां दशकों से शांतिपूर्ण ढंग से साथ साथ रह रहे थे लेकिन अब सबकुछ बदल गया है.

नसरीन अंसारी भी शिव विहार के अपने घर से भाग कर आई हैं. वह बताती हैं कि मंगलवार की दोपहर से उनके लिए मुश्किल वक्त का दौर शुरू हुआ जब घर पर केवल महिलाएं थीं. तब घर के पुरुष दिल्ली के दूसरे छोर पर मुस्लिमों के धार्मिक उत्सव में हिस्सा लेने गए हुए थे.

नसरीन बताती हैं, "हम लोगों ने 50-60 लोगों को देखा. मैं नहीं जानती थी कि वे लोग कौन थे. हमने उन्हें पहले कभी नहीं देखा था. उन लोगों ने हमें कहा कि वे हमारी रक्षा के लिए आए हैं और कहा कि आप घरों में अंदर रहिए."

नसरीन और दूसरी महिलाओं ने अपने घरों की खिड़कियों और बालकनी से उन्हें देखना शुरू किया तो थोड़ी ही देर में उन्हें एहसास हो गया कि ये लोग उनकी सुरक्षा के लिए नहीं आए थे.

नसरीन ने एक वीडियो मुझे दिखाया जो उन्होंने खिड़की के अंदर से ही बनाया था. इसमें कुछ पुरुष हेलमेट पहने और लंबी लंबी लाठियां रखे हुए दिखाई पड़ते हैं.

नसरीन के मुताबिक़, ये पुरुष जय श्रीराम के नारे लगा रहे थे और हनुमान चालीसा का पाठ कर रहे थे.

उनकी मां नूर जहां अंसारी बताती हैं कि एक मुस्लिम पड़ोसी ने फोन करके बताया कि उनके घर में आग लगा दी गई.

नूर जहां अंसारी बताती हैं, "हमारी खिड़की से हम देख पा रहे थे कि एक मुस्लिम पड़ोसी का घर और उसकी दवा दुकान को आग लगा दी गई थी."

नूर जहां अंसारी के मुताबिक हमलावरों ने बिजली के ट्रांसफ़ॉर्मर को नष्ट कर दिया था, इसके बाद धुंए के चलते इलाके में अंधेरा सा हो गया.

नूर जहां अंसारी बताती हैं, "जल्दी ही, हमारे आस पड़ोस में आग ही आग दिखाई देने लगी. वे लोग पेट्रोल बम और कुकिंग गैस सिलेंडर से मुसलमानों के घर और उनकी दुकानों को निशाना बना रहे थे. हिंदुओं के घर को नुकसान नहीं पहुंचाया जा रहा था. हमलोगों ने कभी नहीं सोचा था कि हमारे साथ ऐसा होगा. हमारा कसूर यह है कि हमारा जन्म मुस्लिम परिवारों में हुआ."

नसरीन बताती हैं कि महिलाओं ने पुलिस को दर्जनों बार फ़ोन कॉल्स किए. "हर बार उन लोगों ने हमें भरोसा दिलाया कि पांच मिनट में हम पहुंच जाएंगे."

एक वक्त ऐसा भी आ गया जब नसरीन ने अपने रिश्तेदारों को फोन करके बताना शुरू कर दिया कि वे लोग इस रात नहीं बचेंगे.

इन लोगों को आखिरकार सुबह के तीन बजे वहां से निकाला गया, 12 घंटे के बाद. जब चमन पार्क और इंदिरा विहार के मुस्लिम पुरुषों के साथ पुलिस इलाक़े में पहुंची.

नसरीन बताती हैं, "हम लोग अपना जान बचाकर भागे. हमने अपना कपड़ा अपने साथ रख लिया. हमारे पास जूते चप्पल पहनने का वक्त भी नहीं मिला."

No comments:

Post a Comment

内蒙古敲定千年辽代白塔修缮情况:立即启动修缮工作

  中新网呼和浩特4月21日电 (记者 李爱平) 世界卫生组织与 色情性&肛交集合 美国的摩擦本 色情性&肛交集合 月越演越烈, 色情性&肛交集合 特别是在4月中旬,美国总统特朗 色情性&肛交集合 普宣布冻结美国给予世卫 色情性&肛交集合 的资金补助引起 色情性&肛交集合 轩然...